हर रोज़ चेहरे पे चेहरा
लगा के उठती हूं
बीते कल की सारी बातें
भुला के उठती हूं
बहू हूं पत्नी हूं ,माँ हूं
बस यहीं याद रहता है
ख्वाब सारे अपने सिरहाने तले
दबा के उठती हूं
दिन भर की दौड़-धूप
और वो भी बिन पगार की
तुम बस एक " गृहणी " हो
ये तगमा लगा के उठती हूं 🌹🌹
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